Wednesday, April 27, 2011

जानने वाला समझ गया...!!!

दरअसल हम जब भी कुछ नया करने की सोचते हैं किस्मत हमारे सामने कुछ ऐसे सवाल ले आती है की हमें वापस उस पुराने को ही नए जैसा करके काम चलाना पड़ता है...
पर जब इस जुगरतान में लगे रहते हैं की वो पुराना फिर से जुड़ तुद के नया हो जाए हम यह भूल जाते हैं की  जो नए विचार हमने उस काम को करने के लिए अपने मन में सोच रखे थे वो धीरे धीरे उसी पुराने के साथ मर जाते हैं और जब भी कभी हम उस स्तिथि में पड़ते हैं तोह बस उसी पुराने ढर्रे पर चलकर अपना सृजनात्मक रव्वैया खो देते हैं और अपनी अलग पहचान बना पाने में अक्षम हो जाते हैं...!!!

Thursday, April 14, 2011

भारतीय सेना के एक मार्चिंग गीत के बोल ....

भारत माता तेरी कसम तेरी रक्षक रहेंगे हम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम

 हमने तन मन जीवन तुझसे ही पाए हैं
तेरी धरती से जन्मे हैं तेरे फल खाए हैं
हम पर तेरी ममता तेरी करुणा के साए हैं
तेरी बाँहों में हैं पले
माँ हम हैं तेरे लाडले
तेरी बाँहों में हैं पले
माँ हम हैं तेरे लाडले

दीवारें हम बनेंगे माँ
तलवारे हम बनंगे माँ
छूले तुझको किस्मे हैं दम

भारत माता तेरी कसम तेरी रक्षक रहेंगे हम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम

हमको प्यारा है तेरा हर जर्रा भारत माँ...
हमको प्यारे हैं तेरे पर्वत जंगल नदियाँ
हमको प्यारे तेरे गाँव नगर तेरे रस्ते गलियां
कोई दुश्मन कभी अगर
भूले से भी दिखे इधर

 दीवारें हम बनेंगे माँ
तलवारे हम बनंगे माँ
छूले तुझको किस्मे हैं दम...

वन्दे मातरम...
वन्दे मातरम...


Tuesday, March 1, 2011

नैनन की भाषा

अन्खिओं की बात निराली है...
येही जीवन की लाली हैं....
दिल की परिभाषा यह नैनन...
प्यार की भाषा ये नैनन ...
सुन्दरता को बखान करते हैं नैनन...
बुरी नज़र से चुभते हैं  नैनन...
जीवन इनसे है ....
जान इनसे है...
ज़िन्दगी का स्वाद  हैं नैनन..!!!
 
मन के चक्षु भी तो आस बंधाते हैं...
जीवन जीने का प्रयास दिखलाते हैं....
इन चक्षुओं की भाषा सीख लो...
जीवन का यह पाठ सीख लो...

इन कोमल पंखुड़ीओं को संभाल कर रखना क्यूंकि ...!!!
यह आँखें हैं जीवन दर्शिनी
उमंग की हैं रौशनी....!!!!

Tuesday, February 15, 2011

दिल की बात है भैया दिल ही जाने

दिल की  बात  है  भैया  दिल  ही  जाने ...
प्यार  का  गीत  है  ...
प्रेम  का  इकलौती  रीत  है ...
जीवन  की  नैया  का  मीत  है ....
यह  अनोखा  गीत  है ...
दिल  की  बात  है  भैया  संभल  के  रहियो ...
क्यूंकि  येही  जीवन  है ...
यही  है  राग ...
साड़ी  दुनिया  का ...
इकलौता  भाग ....
इसे  बचा  के  रखना  मेरे  यार ...
दिल  की बात  है  ...
नाज़ुक  है  जान ...
शीशा  भी  इसके  सामने  बड़ा  है  सख्त ...
पर  अच्छे  के  लिए  यह  है  पत्थर  सा   पस्त ...
कोसा  है  कितने  उपरवाले  को  की कुछ  नहीं  दिया ..
जो  दिया  उसने  दिल  उस  दिल   का  दिल  तोड़  दिया ....

- गुरु  आदर्श


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Sunday, September 19, 2010

बचपन बीत गया....!!!

अभी कल ही तोह था ... 
जब हम जोश से परिपूर्ण तैयार होते थे घर के बाहर जाने को ....
जब हमे पता होता था की बाहर कई सच्चे हितैषी हमारा इंतज़ार कर रहे हैं ....
जब हम जानते थे की कैसे मिटटी से घर बनते हैं....
कैसे रेत हमारा ठिकाना हो सकती है....
कैसे हम आसमान मैं उड़ सकते हैं...
कैसे हम साइकिल पे ही दुनिया घूम सकते हैं....
कैसे हम किसी पे भी यूँ ही विश्वास कर लेते थे.....
कैसे हम चुप चाप ही सारे काम कर लेते थे....
क्यूँ तब हमारा मन भटकता नहीं था.....
क्यूँ तब हमसे गलती होने पर भी हमें कोई प्रायश्चित नहीं था.....
उस दुनिया से हम आखिर अलग कैसे हो गए...
वोह दुनिया जिसकी शाम को हम कभी ढालना नहीं देना चाहते थे....
वोह दुनिया जिसकी बरसात हमें कभी थामती नहीं थी....
वोह दुनिया जो अपनी काली रात में भी हमें बहलाती थी........
जाने जीवन के किस मोड़ पे वोह दुनिया हमें बिना बताये चली गयी .....
कैसे आखिर उस तक में पहुंचू ........
क्या कभी मैं उस तक पहुँच पाऊँगा...... ???


Saturday, September 4, 2010

मन के कोने में ..........

ज़िन्दगी का एक लम्हा कुछ यूँ भी सताता है............
मन के कोने का एक सपना जब उभर आता है.........
जी करता है जी-जान लुटा दूं उसपे.....
पर मन को कहाँ दिल भर पाता है......