Sunday, September 19, 2010

बचपन बीत गया....!!!

अभी कल ही तोह था ... 
जब हम जोश से परिपूर्ण तैयार होते थे घर के बाहर जाने को ....
जब हमे पता होता था की बाहर कई सच्चे हितैषी हमारा इंतज़ार कर रहे हैं ....
जब हम जानते थे की कैसे मिटटी से घर बनते हैं....
कैसे रेत हमारा ठिकाना हो सकती है....
कैसे हम आसमान मैं उड़ सकते हैं...
कैसे हम साइकिल पे ही दुनिया घूम सकते हैं....
कैसे हम किसी पे भी यूँ ही विश्वास कर लेते थे.....
कैसे हम चुप चाप ही सारे काम कर लेते थे....
क्यूँ तब हमारा मन भटकता नहीं था.....
क्यूँ तब हमसे गलती होने पर भी हमें कोई प्रायश्चित नहीं था.....
उस दुनिया से हम आखिर अलग कैसे हो गए...
वोह दुनिया जिसकी शाम को हम कभी ढालना नहीं देना चाहते थे....
वोह दुनिया जिसकी बरसात हमें कभी थामती नहीं थी....
वोह दुनिया जो अपनी काली रात में भी हमें बहलाती थी........
जाने जीवन के किस मोड़ पे वोह दुनिया हमें बिना बताये चली गयी .....
कैसे आखिर उस तक में पहुंचू ........
क्या कभी मैं उस तक पहुँच पाऊँगा...... ???


Saturday, September 4, 2010

मन के कोने में ..........

ज़िन्दगी का एक लम्हा कुछ यूँ भी सताता है............
मन के कोने का एक सपना जब उभर आता है.........
जी करता है जी-जान लुटा दूं उसपे.....
पर मन को कहाँ दिल भर पाता है......